Wednesday, September 15, 2010

प्रभुके प्रेम के लिए , पूरी तैयारी चाहिए

ऐसा न हो कि मेघ आएं , बरसेँ और चले जाय ।
तुम सूखे के सूखे ही जाओ ।
तुम्हारी तैयारी चाहिए ।
स्वीकार का भाव चाहिए ।
प्यास चाहिए , तड़पन चाहिए ।
चातक की भांति मुँह खोल के आकाश की तरफ प्रार्थना से भरा हृदय चाहिए ।
आकाश की तरफ उठा होना चाहिए ।
प्रतीक्षातुर होना चाहिए ।
तब कही स्वांति की बूंद तुम्हारे मुंह मेँ गिरेगी ।
गी । प्रेम - बरसता हैँ -
जैसे दीये से रोशनी फैलती है ।
जैसे फूल से गन्ध बहती है ।
अगर तुम तैयार हो , तो तुम प्रेम से भर सकते हो ।
तुम्हारे अंग - अंग मेँ रोशनी भर सकती है ।
तुम्हारे नासापुर गन्ध से सराबोर हो सकते हैँ ।
तुम सब कुछ पा सकते हो ।
तुम सब कुछ लूट सकते हो ,
तुम सम्राट हो सकते हो ,
तुम शाहंशाह बन सकते हो ।
तुम पर निर्भर करता है ।
तुम्हारी पात्रता चाहिए ।
तुम्हारी योग्यता चाहिए ।
तुम्हारी बेचैनी चाहिए ।
परमात्मा का प्रेम पाने के लिए ।
श्रीमन्न नारायण नारायण हरि हरि ।।

3 comments:

  1. परमात्मा का प्रेम पाने के लिए, परमात्मा चाहिए !!!

    ॐ शांति: शांति: शांति: !!!

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  2. शिव वनेँगे तो शिव का प्रेम प्राप्त होगा । धन्य - धन्य ।श्री पंकज सिह राजपूत जी ।

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  3. स्वामी जी ! आपने परम सत्य को सुंदर शैली में प्रस्तुत किया है ।

    आभार !

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